मै पुरुष हूं
Copipaste
मैं " पुरुष " हूँ... 🙏🏽 दोस्तों औरत पर तो खूब लिखा जाता है 🙏🏽 आज की पंक्तियां एक पुरुष को समर्पित 🙏🏽
मैं भी घुटता हूँ , पिसता हूँ
टूटता हूँ , बिखरता हूँ
भीतर ही भीतर
रो नही पाता
कह नही पाता
पत्थर हो चुका
तरस जाता हूँ पिघलने को
क्योंकि मैं पुरुष हूँ..
.
मैं भी सताया जाता हूँ
जला दिया जाता हूँ
उस दहेज की आग मेंदो
जो कभी मांगा ही नही था
स्वाह कर दिया जाता हैं
मेरे उस मान-सम्मान का
तिनका - तिनका
कमाया था जिसे मैंने
मगर आह नही भर सकता
क्योकि मैं पुरुष हूँ..
.
मैं भी देता हूँ आहुति
विवाह की अग्नि में
अपने रिश्तों की
हमेशा धकेल दिया जाता हूं
रिश्तों का वजन बांध कर
जिम्मेदारियों के उस कुँए में
जिसे भरा नही जा सकता
मेरे अंत तक कभी
कभी अपना दर्द बता नही सकता
किसी भी तरह जता नही सकता
बहुत मजबूत होने का
ठप्पा लगाए जीता हूँ
क्योंकि मैं पुरुष हूँ..
.
हॉ.. मेरा भी होता है बलात्कार
उठा दिए जाते है
मुझ पर कई हाथ
बिना वजह जाने
बिना बात की तह नापे
लगा दिया जाता है
सलाखों के पीछे
कई धाराओं में
क्योंकि मैं पुरुष हूँ..
.
सुना है जब मन भरता है
तब आंखों से बहता है
मर्द होकर रोता है
मर्द को दर्द कब होता है
टूट जाता है तब मन से
आंखों का वो रिश्ता
तब हर कोई कहता है..
तो सुनो ...
सही गलत को
हर स्त्री स्वेत स्वर्ण नही होती
न ही हर पुरुष स्याह कालिख
मुझे सही गलत कहने वालों
पहले मेरी हालात नही जांचते ...
क्योंकि...
मैं "पुरुष" हूँ....?
.सुनीता गुप्ता सरिता कानपुर
.
Gunjan Kamal
15-Nov-2022 06:12 PM
बहुत ही सुन्दर
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Sachin dev
10-Nov-2022 04:45 PM
Nice 👌
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Khan
09-Nov-2022 10:05 PM
Bahut badhiya 👍🌸
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